मानसिक समस्याएं
किसी भी और लम्बे समय तक चलने वाली बीमारी की तरह ही डायबिटीज़ भी मानसिक तनाव और बीमारियों की संभावना को बढाती है. इन भावनाओं को अनदेखा न करें, यह डायबिटीज़ की देखभाल में बाधा डाल सकती हैं। हम आपको इन मानसिक लक्षणों और बीमारियों के बारे में संक्षेप में बताते हैं:
चिड़चिड़ापन और गुस्सा
जिन बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज़ होता है उनमें चिड़चिड़ापन और गुस्सा अक्सर देखा जाता है
चिड़चिड़ापनऐसा भाव है जिसमें इन्सान उत्तेजित व् परेशान महसूस करता है। यह भाव सभी को महसूस होता है परन्तु यह परेशानी तब बनती है जब ऐसा ज़्यादातर, हर स्थिति, हर इंसान के साथ महसूस करा जाए। चिड़चिड़ापन घबराहट और डिप्रेशन से सम्बंधित हो सकता है। चिड़चिड़ा महसूस करने के बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे, तनाव, घबराहट, डिप्रेशन या शारीरिक कारण जैसे नींद की कमी, कम ब्लड शुगर, डायबिटीज़, सरदर्द आदि। यदि आपका बच्चा ज़्यादातर समय चिड़चिड़ा महसूस करता है तो आपको मनोवैज्ञानिक से सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर की परामर्श भी ज़रूरी है ताकि हार्मोनल असंतुलन, इन्फेक्शन या कोई और मेडिकल कंडीशन की जांच करी जा सके जिसके कारण चिड़चिड़ापन हो सकता है.
गुस्सा या अग्रेशन उन व्यवहार को कहते हैं जिससे खुद को या किसी और को शारीरिक या मानसिक नुक्सान पहुँचे। बच्चों में गुस्सा/ अग्रेशन कई तरह से दिख सकता है जैसी मारना, काटना, गुस्से का आवेश, जिद और कहना न मानना। दूसरी तरफ़, अग्रेशन डिप्रेशन की वहज से भी हो सकता है।
If your child feels irritable most of the day, every day, it is advised to consult your psychologist. S/he can help identify the cause and work accordingly with the child, and his environment. There might be changes required in child’s lifestyle like sleep cycle, daily activities and a need to identify stressors in the environment.
Doctor’s consultation is required to check for any hormonal imbalance or infection or any medical condition that may cause increased irritability in the child.
जीवन शैली में बदलाव करें
- पौष्टिक खाना खाएं
- रोज़ व्यायाम करें
- सोने की आदतें सुधारें
- तनाव को मैनेज करना सीखें
टिप्स
- अपने बच्चे के साथ खुला और सकारात्मक रिश्ता बनाएँ, जिससे वह आपसे अपने मन की बात बिना संकोच करे शेयर कर सकें। यदि आपके बच्चे ने कुछ ऐसा किया जो आपके हिसाब से गलत है, तो उससे वैसा करने का कारण पूछते हुए, उससे अपनी सफाई देने का मौका दें। आपका व्यवहार और प्रतिक्रियाएं ही आपके बच्चे के व्यवहार को बनाती हैं। अपने बच्चे के साथ समय बिताएँ और एक भरोसेमंद रिश्ता बनाएँ ।
- बच्चे के साथ बैठ कर और उसे समझ कर कुछ नियम और लक्ष्य निर्धारित करें, और उसे वह पालन करने के लिए प्रोत्साहित करते रहें। बच्चे से बहुत ज्यादा की भी अपेक्षा न करें, उससे प्रैक्टिकल अपेक्षाएं रखें।
- जो भी आपका बच्चा कहे या करे उससे व्यक्तिगत रूप से न लें। उनका इरादा आपको दुखी और उदास करना नहीं है।
- जब भी बच्चा गुस्सा दिखता है या चिड़चिड़ा होता है, ऐसे मौकों को ध्यान रखें। इससे आप अपने बच्चे के बारे में बेहतर जान सकेंगे, और आगे ऐसे मौकों से डील कर सकेंगे।
- गुस्से को मैनेज करने के कुछ आसान तरीके – गहरी सांसें ले, पानी पियें, तत्काल प्रतिक्रिया न दें, 100 से उलटी गिनती गिनें, अपना मन भटकाने की कोशिश करें और अपनी मनपसंद एक्टिविटी करें जैसे किताब पढना, गाने सुनना, आदि।