मुद्दे और प्रबन्धन की युक्तियाँ (मैनेजमेंट टिप्स)
माता पिता से संबंधित
माता पिता से संबंधित | मुद्दे और प्रबन्धन की युक्तियाँ (मैनेजमेंट टिप्स) |
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जिन बच्चों को डाइबीटीज़ होता हैं, उनके माता पिता शुरुआत में जीवन में क्षति महसूस करते हैं. वह सवाल करते हैं “यह मेरे साथ क्यों हुआ?”, “ यह मेरे ही बच्चे के साथ क्यों हुआ?” | एक एक कदम करके आगे बढें |
माता पिता साथ में समय नहीं बिता पाते, वे खाली समय में आनंद नहीं ले पाते, व् बंधन महसूस करते हैं | शुरुआत में उदास महसूस करना, अकेला महसूस करना सामान्य है. जैसे जैसे समय गुजरेगा, आप और ज्यादा प्रबल और सकारात्मक बनेंगे |
वे अपने बच्चे की डायबिटीज़ के लिए एक दुसरे को दोष देते हैं | आपस में समय बिताएँ |
डाइबीटीज़ के देखभाल की ज़िम्मेदारी बहुत भारी लगने लगती है | मदद लेने से संकोच न करें , कोई सपोर्ट ग्रुप ज्वाइन कर सकते हैं |
उन्हें बाकि बच्चों को संभालना व् समझाने में मुश्किल होती है. भाई/ बहन ईर्ष्या महसूस कर सकते हैं क्योंकि माता पिता का ज्यादा ध्यान दूसरे बच्चे पर होता है। | यह किसी की गलती नहीं है, डाइबीटीज़ के बारे में जानकारी प्राप्त करिए |
डाइबीटीज़ माता पिता की निजी ज़िन्दगी पर भी प्रभाव डाल सकता है, जिससे आपस में झगडे हो सकते हैं | जो लोग आपकी मदद करने को तैयार हैं, उनसे मदद लें और उन्हें स्पष्ट बताएँ कि आपको क्या मदद चाहिए |
• किशोर बच्चो के माता पिता को बच्चे के इलाज में कितनी सहायता करनी है और कितना बच्चे को आत्मनिर्भर बनाना है, उसे निर्धारित करने में मुश्किल हो सकती है. कुछ माता पिता बहुत ज्यादा रक्षात्मक हो जाते हैं, बहुत रोक टोक करते हैं, व् कुछ बिलकुल ही छोड देते हैं कि उन्हें यह भी नहीं पता होता कि बच्चे की शुगर कैसी आ रही है, या उसे कितना डोज़ लगना है | अपने बच्चे के साथ समय बिताएँ , उससे बात करें और जानें कि वह कैसा महसूस करता है, साथ ही दूसरे बच्चों के साथ भी समय बिताएँ |
दूसरे बच्चों को भी डाइबीटीज़ की देखभाल में शामिल करें व् अपने पूरे परिवार को डाइबीटीज़ के बारे में जागरूक करें | |
दूसरों की सुनें , परन्तु जैसा आपके बच्चे के डॉक्टर की टीम ने बताया है, वैसा ही करें | |
कुछ नियम निर्धारित करें, जैसे इन्सुलिन माता या पिता के सामने ही लगाया जाए, शुगर की जाँच की वैल्यूज माता या पिता से चेक कराइ जाए. बच्चे को धीरे धीरे आत्मनिर्भर बनाएँ, एकदम नहीं. उन्हें यह बताइए की 18-20 साल तक वह आपकी निगरानी में हैं |
शिशुओं से सम्बंधित मुद्दे
शिशुओं से सम्बंधित मुद्दे | मैनेजमेंट टिप्स |
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उन्हें खाना खिलाने की ज़बरदस्ती करनी पड़ सकती है जब वह भूखे न हों | एक रूटीन बनाएँ और रोज़ उसी के हिसाब से चलें, जिससे बच्चे को उसकी आदत पड़े |
वे शायद बार बार इंजेक्शन लगाने के लिए तैयार न हों और इन्सुलिन लगाने में सहयोग न दें ; वह चिड़चिड़े भी हो सकते हैं | बच्चे के साथ कुछ भी असुविधाजनक करने के लिए जैसे की शुगर चेक करने के लिए या इन्सुलिन लगाने के लिए एक स्पेशल जगह चुने, जो की सोने की जगह के करीब बिलकुल न हो |
हो सकता है कुछ समय के लिए वह पीछे चले जायें, यानि की जो आदतें वह सीख चुके हैं जैसे पेशाब जाना, वे वह भूल जाएं और अक्सर बिस्तर में ही कर दें। हांलाकि यह समय के साथ वापस ठीक हो जाता है | घर पर कुछ भी मीठा या कोला न रखें। यदि बच्चे की शुगर बहुत कम हो जाए और वो हाइपोग्लाईसीमिया में चला जाए तो सिर्फ ग्लूकोस दें, न की कोई भी मिठाई। जब भी बच्चे का कुछ बाहर का खाने का मन करे, उसकी जगह घर पर ही कुछ पौष्टिक नाश्ते का इंतजाम कर के रखें |
इन्सुलिन देने के बाद भी वह खाने को मना कर सकते हैं, व् मीठा खाने की ज़िद भी कर सकते हैं |
प्रीस्कूलर बच्चों से सम्बंधित मुद्दे
प्रीस्कूलर बच्चों से सम्बंधित मुद्दे | मैनेजमेंट टिप्स |
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इस उम्र के बच्चे ज़्यादातर सुइं से डरते हैं, इसलिए उनकी शुगर चेक करना और इन्सुलिन लगाना मुश्किल हो सकता है | उन्हें बताएँ व् जताएँ कि आप उनसे प्यार करते हैं |
वह इन सभी प्रक्रियाओं को सजा के रूप में देख सकते हैं | उन्हें यह एहसास कराएँ कि वह निडर हैं और शक्तिशाली हैं |
इस उम्र के बच्चे बहुत एक्टिव व फ़ुर्तीले होते हैं, और बहुत खेलने के कारण इनमें हाइपोग्लाईसीमिया होने की संभावना ज्यादा होती है | उनके हर एक प्रयास को सराहें |
बर्थडे पार्टी में जाने से संभंधित मुद्दे | धीरे धीरे बच्चे को इन प्रक्रियाओं की ज़रूरत समझाएँ और बच्चे को भी इनमें शामिल करें |
शुगर की जांच व् इन्सुलिन लगाते समय बच्चे को प्यार से करीब से पकड़ें, और प्रक्रिया को जल्दी और कुशलता से करें | |
उसके डर के बारे में जानने व् समझने के लिए उसे इंटरैक्टिव प्ले में शामिल करे | |
पार्टियों को स्पेशल मौके माना जाता है, बच्चे को थोडा खाने दें और सब के साथ आनंद लेने दें। पर कुछ बातों का ध्यान रखें जैसे पार्टी में जाने से पहले घर से ही कुछ पौष्टिक खा कर जाना, पार्टी में भी ध्यान से खाना चुनना, इन्सुलिन की डोज़ बढ़ा कर लगाना |
स्कूल जाने वाले बच्चों
स्कूल जाने वाले बच्चों से सम्बंधित मुद्दे | मैनेजमेंट टिप्स |
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ज्यादा एक्टिविटी के कारण हाइपोग्लाइसीमिया होने की संभावना हो सकती है | इस बात का ज़रूर ध्यान रखें की बच्चा खेलने जाने से पहले कुछ खा कर जा रहा है। और यदि बच्चा 60-80 मिनट्स से ज्यादा खेल रहा है तोह बीच में भी कुछ खाए, जैसे की 1 फल |
बर्थडे पार्टी में जाने से संभंधित मुद्दे | पार्टियों को स्पेशल मौके माना जाता है, बच्चे को थोडा खाने दें और सब के साथ आनंद लेने दें. पर कुछ बातों का ध्यान रखें जैसे पार्टी में जाने से पहले घर से ही कुछ पौष्टिक खा कर जाना, पार्टी में भी ध्यान से खाना चुनना, इन्सुलिन की डोज़ बढ़ा कर लगाना |
टीचर्स को बताना | स्कूल की टीचर्स को बच्चे की डाइबीटीज़ के बारें में जानकारी दें, ताकि वह बच्चे के लक्षणों को पहचान सकें, और ज़रूरत पड़ने पर उसे सम्भाल सकें, जैसे कि हाइपोग्लाइसीमिया होने पर |
स्कूल में हाईपोग्लाइसीमिया होना | इस बात का ध्यान रखें की बच्चा दोस्तों के साथ टिफ़िन नहीं बाँट रहा हो, न ही किसी का टिफ़िन खा रहा हो क्योंकि वह आपके बच्चे की खाने पीने की ज़रूरत के हिसाब से नहीं होगा और उससे शुगर बढ़ने की संभावना हो सकती है |
अपना टिफ़िन दोस्तों के साथ बांटना |
किशोरावस्था
किशोरावस्था से सम्बंधित मुद्दे | मैनेजमेंट टिप्स |
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किशोरावस्था की डाइबीटीज़ की देखभाल व् भावनात्मक ज़रूरतें अलग होती हैं | बच्चे के लिए माता पिता का व् डायबिटीज़ टीम का साथ बहुत ज़रूरी है |
कई मानसिक मुद्दे आ सकते हैं जैसे बॉडी इमेज, विद्रोह्शीलता, गुस्सा और चिड़चिड़पन, हीनता की भावना, डिप्रेशन, घबराहट व् तनाव | बच्चे को उसके प्रयासों के लिए प्रेरित करें |
इन मुद्दों के साथ ही कई मानसिक बीमारियाँ भी हो सकती हैं जैसे डिप्रेशन, एंग्जायटी, या ईटिंग डिसऑर्डर्स. | माता पिता को बच्चे के साथ एक दोस्ती वाला व्यवहार अपनाना चाहिए और बच्चे को सपोर्ट करना चाहिए |
स्कूल सम्बंधित तनाव जैसे दोस्तों के साथ तनाव, पढाई का तनाव, आदि | किसी भी मानसिक लक्षणों व् परेशानियों के लिए मनोवैज्ञानिक से सलाह लें |
मादक द्रव्यों का सेवन (Substance abuse) (शराब पीने से कुछ देर बाद हाइपोग्लाइसीमिया होने की संभावना होती है ) | धीरे धीरे ही बच्चे को आज़ादी दें और आत्मनिर्भर बनाएं |
उनके सामाजिक सम्बन्ध व् मित्रता में कमी आ सकती है | बार बार हाइपोग्लाइसीमिया हो या शुगर कण्ट्रोल ज्यादा बिगड़ जाये (HbA1c बढ़ जाये), तो कुछ समय तक शुगर चेक करने व इन्सुलिन लगाने की जिम्मेदारी स्वयं ले लें. |
ज्यादा तनाव के कारण मेटाबोलिक नियंत्रण ख़राब होता है | खुद को भी और बच्चे को भी डायबिटीज़ व् मानसिक लक्षणों और परेशानियों के बारे में जागरूक करें |
डायबिटीज़ के देखभाल से सम्बंधित बढ़ती आज़ादी भी परेशानी बन सकती है | |
ओवरडोज़ -कुछ बच्चे माता-पिता से छुपा कर एक्स्ट्रा इन्सुलिन ले लेतें हैं. यदि बच्चे को अप्रत्याशित रूप से बार बार हाइपोग्लाइसीमिया होने लगे तो इसे जरूर ध्यान में रखें. | |
ओवर-डोसिंग के प्रमुख कारण हैं: 1. अटेंशन सीकिंग व्यवहार 2. जिससे ज्यादा कार्ब और मिठाइयाँ खा सकें 3. दोस्तों में शामिल होने के लिए उन्हें यह दिखाना की इन्सुलिन की कोई ज़रूरत नहीं है 4. हाल ही में जन्मा तनाव जैसे की भाई/ बहन का जन्म होना |