जब आपको पहली बार पता चलता है की आपके बच्चे को टाइप 1 डायबिटीज है तो उससे सम्बंधित आपको कुछ दुःख व चिंता होना स्वाभाविक है ,आप नीचे दिए गए पड़ावों से होकर अपने चिंता और दुख को नियंत्रित कर सकते है
इंकार
गुस्सा
समझौता
डिप्रेशन
स्वीकृति
- डायबिटीज़ के बारे में पता लगने पर
- दुनिया व्यर्थ और बेमतलब लगने लगती है
- सदमें और सुन्नपन की स्थिति
- डिनायल या इंकार एक रक्षात्मक प्रतिक्रिया है जो तत्काल सदमें और घबराहट को कम करती है
- हमारे मरीजो के माता पिता के कुछ उदाहरण - :हमारे बच्चे को डायबिटीज़ नहीं हो सकता, हम कही और से भी दुबारा जांच करवाएँगे”, “हमारे बच्चे की डायबिटीज़ समय के साथ ठीक हो जाएगी”, “ कुछ हफ़्तों में हमारे बच्चे को इन्सुलिन के इंजेक्शन की ज़रूरत नहीं पड़ेगी”
- जैसे जैसे इंकार का असर कम होता जाता है, इंसान सच्चाई और दर्द का एहसास होने लगता है
- गुस्सा किसी चीज़ पर, अनजान पर, दोतों या परिवार के सदस्यों पर, निकल सकता है
- अक्सर ऐसे वाक्यांश सुने जाते हैं “मैं ही क्यों?”, “मेरा बच्चा ही क्यों?”
- अब ज़रूरत होती है अपनी ज़िन्दगी में वापस नियंत्रण लाना
- काश – “काश डॉक्टर के पास जल्दी आ गए होते”, :काश मैं बच्चे को अच्छा खाना खिलाती”, “काश मैं काम न कर रही होती और सारा ध्यान बच्चे पर देती”.
- अक्सर इस स्टेज में आत्म अपराध / गिल्ट की भावना भी होती है; इन्सान ऐसा महसूस करता है की वह कुछ कर सकता था परन्तु उसने करा नहीं
- एक होता है नुक्सान की प्रतिक्रिया, जिसमें उदासी, पछतावा और चिंता होती है, और दूसरा होता है सूक्ष्म, नीजी, जिसमें इंसान नुक्सान व् स्थिति से समझौता करने के लिए तैयार हो रहा होता है
- इन्सान अपनी या अपने बच्चे की स्थिति के बारे में सोच कर बहुत अकेलापन और उदासी महसूस करता है
- इस स्टेज पर पहुंचना सफलता है
- इसमें इन्सान शांत महसूस करता है, लेकिन वह पूरी तरह से ख़ुशी की भावना नहीं होती
- लेकिन वह अपनी आज की ज़िन्दगी में रहना सीख लेता है और आगे बढ़ता है
- वह नया रूटीन बनाता है और नई प्राथमिकताएं भी